कृषि जैव प्रद्यौगिकी, कृषि मॉलिक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों के लिए भविष्य के लिए अवसर एवं चुनौतियां

कृषि जैव प्रद्यौगिकी, कृषि मॉलिक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों के लिए भविष्य के लिए अवसर एवं चुनौतियां 

 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंशित विषय   M.Sc. Ag. (Plant Biotechnology, Molecular Biotechnology, Biotechnology, Agriculture Biotechnology) आदि समकक्ष डिग्री धारक छात्र अक्सर डिग्री पूर्ण करने के बाद हमेशा अवसर की तलाश में भटकते रहते है, और सही मार्गदर्शन मिलने के कारण,  असमंजस में रहते है की नौकरी करनी चाहिए  या फिर पीएचडी, या फिर पीएचडी के आलावा कोई दूसरी नौकरी।

आईये जानते है कैसे सही निर्णय ले के कृषि जैव प्रद्यौगिकी में बेहतर भविष्य को निखारा जा सकता है 
अनुसंधान के क्षेत्र,कृषि जैव प्रद्यौगिकी के भविष्य के लिए अनेक सम्भावनाये हैजिनके लिए छात्रों को 
निम्न बाते अगर ध्यान में रखे तो उन्हें बहुत अच्छे  अवसर प्रद्यौगिकी क्षेत्र में मिलेंगे।

कृषि जैव प्रद्योगिकी ही  ऐसा विषय है जिसमे छात्र कृषि अनुसंधान  विभाग के आलावा भी दूसरे संस्थानों में इन क्षेत्र के शोधार्थियों को मौका मिलता है, जबकि अन्य कोर्स  करने से केवल ग्रामीण स्तर और अन्य सिविल जॉब, KVK, Bank में  मौका मिलता है। 

इस विषय के छात्र ही अधिकतर आगे चल के, नई कृषि फसल की किस्म,  किस्म  की जाँच , नए अनुसंधान , जर्मप्लास्म इन सीटू संरक्षण , टिश्यू कल्चर , वैक्सीन डेवलपमेंट , ड्रग डिस्कवरी , हर्बल मिलावट की जाँच, IPR इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी राइट, पेटेंट एवं अनेक  बड़ी-बड़ी लैब में  कृषि जैव प्रद्योगिकी के शोधार्थियों को  ही प्राथमिकता मिलती है जिसके लिए बहुत से संस्थानों में कृषि जैव प्रद्योगिकी की मांग हमेशा रहती है और जो भविष्य में आने वाली क्लाइमेट चेंज और अनेक आपदाओं से यही तकनीकी ज्ञान अनुसंधान के लिए आवश्यक होगी।

बायोटेक में कृषि छात्रों की प्रमुख चुनौतियां-

1.     B.Sc. कृषि के बाद कौन सा कोर्स करना चाहिए - अधिकतर कृषि विश्वविद्यालय के छात्र B.Sc. कृषि के बाद M.Sc के लिए कॉन्सलिंग में बायोटेक इसलिए ले लेते है, क्योंकि कम अंक  के कारण और कोई दूसरी बिषय उन्हें अलॉट नहीं होती मजबूरन बिना बायोलॉजी फील्ड्स का छात्र 2 साल जैसे -तैसे डिग्री करता है और फिर भटकता है , जबकि ऐसा करने से छात्रों को बचना चाहिए, और ऐसे छात्र जिनका बायोलॉजी का बेस अच्छा हो तो सिविल की तैयारी करके फील्ड स्तर की जॉब में जाना ही उचित होगा क्यों की अनुसधान के लिए बेसिक बायोलॉजी से ले के आधुनिक जैव प्रद्योगिकी का ज्ञान होना आवश्यक है।

  • विषय ज्ञान - बहुत सारे कृषि जैव प्रद्योगिकी इस लिए ले लेते है विषय केवल नौकरी पाने के लिए ही की इस विषय में भीड़ कम है जब की ऐसा नहीं है, इस क्षेत्र में  सामान्य  साइंस वाले की तुलना में अवसर बहुत है लेकिन  कृषि विषय के मुकाबले साइंस के छात्रों का बेस काफी अच्छा होता है जिससे वो लोग ही इन अवसरों को अच्छे से फायदा उठा ले जाते है और कृषि विषय के छात्र अवसर से चूक जाते है।
  • दूसरी बात करे तो सबसे बड़ी समस्या हिंदी मीडियम छात्रों का बायोटेक का बेसिक फंडामेंटल क्लियर नहीं होता जिससे कोई भी एग्जाम जैव प्रद्यौगिकी से संबंधित जिसमे फ़ेलोशिप ग्रांट मिलती है, वो नहीं मिल पाती।
  • अधिकतर कृषि  छात्रों काअलग-अलग प्रकार के फेलोशिप, ग्रांट और अवसर के बारे जागरूक होना.
  • अधिकतर कृषि बायोटेक छात्रों का बैकग्राउंड बायोलॉजी नहीं होता और बायोटेक में जैसे-तैसे डिग्री कर लेते है लेकिन सही वैज्ञानिक दृश्टिकोण होने से CSIR, DBT ,DST ICAR रिसर्च सेंटर्स  में JRF,  SRF, RA  में चयन नहीं होता।  
  • M.Sc. कृषिबायोटेक छात्रों का  एकेडमिक कोर्स के दौरान निम्न समस्याए झेलनी पड़ती है जैसे लैब में रिसर्च संबंधी असुविधा, यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए फंड्सतथा छात्रों काअंग्रेजी माध्यम में कमजोर होने से कृषि थीसिस लेखन समस्या और अनेक उनसे जुडी समस्या आदि झेलते रहते हैं 

जैव प्रद्यौगिकी में अवसर एवं सम्भावना

1.     DBT, JRF, SRF, CSIR, DST institute, BARC, ISRO, DST अनुसन्धान संस्थान एड्मिसन के लिए एग्जाम के लिए अप्लाई करके रिसर्च फ़ेलोशिप प्राप्त कर सकते है     

2.     Student Traineeships grant for M.Sc.  - अगर जो कृषि जैव प्रद्यौगिकी छात्र बिना फ़ेलोशिप के M.Sc. करते है या फिर उनके यूनिवर्सिटी में फंड्स की समस्या हो, तो वो ऐकेडमिक कोर्स के बाद Student ट्रैनिशिप, DBT, NIPGR CSIR, ICAR institute, अनेक अलग अलग अनुसंधानों से अप्लाई कर के बेहतर करियर बना सकते है जिससे उनको M.Sc.  में अनुसन्धान के लिए परेशान नहीं होना होगा और एक अच्छे संस्थान से रिसर्च और पेपर्स सभी के लिए सहयोग मिलेगा और मासिक छात्रवृत्ति भी।   

3.     जिन छात्रों के पास नेट है और ही गेट एग्जाम है और ही कोई फ़ेलोशिप है वो भी देश के के बड़े संस्थानों से पीएचडी रिसर्च कर सकते है है जिसके लिए M.Sc.  कृषि जैव प्रद्यौगिकी  के बाद अगर वो  CSIR , DBT ,DST  में JRF,  SRF  ज्वाइन कर लेते है  वो एक साल बाद अपनी PhD उसी प्रोजेक्ट से जारी कर सकते और मासिक वेतनमान JRF  SRF के अनुसार ही प्राप्त होता रहेगा और अच्छे  संस्थान   से रिसर्च करने पर उन्हें  रिसर्च के नेटवर्क और रिसर्च सहयोग मिलते रहते है।

शासकीय नौकरी एवं रिसर्च में अवसर -

M.Sc. कृषि जैव प्रद्यौगिकी के क्षेत्र में बहुत अवसर है जिसके लिए छात्र का अगर नेट ,गेट और जैव प्रद्यौगिकी  स्किल्स अच्छी है तो सभी देश के सभी  रिसर्च  संस्थानों में जैसे CSIR ,BARC ,MOEF ,  DBT ,APEDA , कृषि  रिलेटेड बोर्ड्स एवं परिषद् , DST, ICAR रिसर्च सेंटर में  कृषि जैव प्रद्यौगिकी वैज्ञानिक, कृषि सलाहकार , पेटेंट ऑफिसर, जर्मप्लास्म प्रोटेक्शन अफसर, ICAR - ASRB वैज्ञानिक,क्वालिटी कंट्रोलर बायोटेक्नोलॉजी , कृषि प्रोफ़ेसर, मॉलिक्यूलर वैज्ञानिक ,जैव प्रद्यौगिकी सलाहकार, आदि जगह विषय विशेषज्ञ के रूप में अवसर समय समय में आते रहे है।

प्राइवेट  रिसर्च, विदेश  अनुसंधान  क्षेत्र में सम्भावनाये

  • ·  कृषि जैव प्रद्यौगिकी छात्रों का अगर अंग्रेजी माध्यम से कुशलता तथा नेट, सेट  गेट एवं विषय का ज्ञान हो तो उनके लिए निजी क्षेत्रो में बहुत अच्छे बड़े  पैकेज के सांथ अनुसंधान के लिए मौके मिलते है जिसमे निम्न जगह ज्वाइन कर सकते है जैसे
  • ·       सीड कंपनी - मॉलिक्यूलर बायोटेक्नोलॉजी साइंटिस्ट
  • ·       प्राइवेट कंपनी रिसर्च - रिसर्च एसोसिएट, रिसर्च साइंटिस्ट , रिसर्च अस्सिटेंट , रिसर्च एनालिसिस्ट , क्वालिटी कंट्रोलर,सब्जेक्ट एक्सपर्ट
  • ·       प्राइवेट यूनिवर्सिटी - एकेडमिक प्रोफ़ेसर, कोचिंग संस्थाओ में टीचर 
  • ·       विदेश यूनिवर्सिटी - पोस्ट डॉक्टरेट शोद्यार्थी , रिसर्च एसोसिएट, रिसर्च साइंटिस्ट , रिसर्च अस्सिटेंट , रिसर्च एनालिसिस्ट , क्वालिटी कंट्रोलर, विषय विशेषज्ञ 

उद्यमी, बिजिनेस के क्षेत्र में अवसर

  • Ø  जो छात्र जैव प्रद्योगिकी से डिग्री कर लेते है और ही जॉब करना चाहते और ही रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहते उनके लिए स्वयं का बिजिनेश आईडिया से करोडो का व्यापार खड़ा कर सकते है , बगलोर जैसे जगह में बहुत से छात्रों ने अपना उद्यम शुरू  कर रिसर्च लैब बना के लोगो को नौकरी दे रहे है।
  • Ø  भारत सरकारी की अनेक संस्थाए जैसे BIRAC, DST DBT , आईआईएम ICAR,  RKVYआईडिया के लिए 5 लाख से 1 करोड़ तक का ग्रांट प्रदान करती है जिससे छात्र उन ग्रांट से अपना व्यापार शुरू कर सकता है
  • Ø  स्वयं की बायो फर्टिलाइजर  यूनिट, टिश्यू कल्चर लैब , हाइड्रोपोनिक, एरोपोनिक्स , गुड क्वालिटी प्लांटिंग मटेरियल प्रोडक्शन, हाई टेक  फार्मिंग, कंसल्टेंसी अनेक प्रकार के व्यापार ग्रांट से शुरू कर सकते हैं।  

 

कृषि जैव प्रद्यौगिकी छात्रों के लिए सलाह

अधिकतर छात्र जो जैव प्रद्यौगिकी के आलावा ब्रीडिंग्स एक्सटेंसन , एन्टमोलोजी  एग्रोनोमी, हॉर्टिकल्चर से M.Sc. डिग्री करते है उन्हें कृषि विज्ञानं और NGO और आदि जगह कृषि के जमीनी स्तर के कार्य के लिए इन्हे ही मौका मिलता है लेकिन जैव प्रद्यौगिकी के छात्रों के लिए फील्ड स्तर, KVK,कृषि विभाग में विषय विशेषज्ञ में  बहुत कम जगह मौके  मिलते है, लेकिन अगर छात्र ने  M.Sc.  बायोटेक  के दौरान इन तीन बातो को ध्यान रख के तैयारी करे तो ऊपर बताये गए सभी मोके आसानी से मिल सकते है  

  • 1.     इंग्लिश भाषा का ज्ञान एवं कम्युनिकेसन
  • 2.      विषय ज्ञान जिसमे नेट ,सेट, गेट , DBT, CSIR  नेट अनेक Exam   qualified  कर सके
  • 3.     ICAR    के आलावा अनेक संस्थानों से रिसर्च के लिए आवेदन जैसे M.Sc., PhD

 

अधिक जानकारी एवं मार्गदर्शन के लिए infopragatigwl@gmail.com में संपर्क कर सकते हैं

https://pragatifoundationgwl.blogspot.com/

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