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Showing posts from August, 2020

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Black turmeric cultivation (काली हल्दी की खेती )

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  Introduction  English Name Black turmeric Other Name Kaali haldi Scientific Name Curcuma caesia Family Zingiberaceae Native Place India Type Medicinal Used Parts Roots (rhizomes) Image :  Black Turmeric Plant Distribution Black turmeric is native to India. It is found mainly in Northeastern states of India, East Godavari and West Godavari regions, Delhi, Odisha, Central India e. g., Chhattisgarh and Madhyapradesh. In Madhyapradesh and Chhattisgarh it is grown along with other horticultural crops in kitchen garden. Importance Black turmeric is an economically important high value plant-crop. The crop is best known for its medicinal properties. It occupies very less area than the commercial cultivated species,  Curcuma longa , hence the less supply and valuable medicinal properties help to retain its market price always high. It is used in traditional medicine system. Characteristics Black turmeric is different from common turmeric i. e.,  Curcuma longa . It can easily be distinguished

PC Nursery मे शुरू हूइ ओसधीय अस्वगंध की नर्सरी

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 सीधी- कृषि खबर  सीधी जिले मे जिले के  युवा कृषि उद्द्मी PC  nuresry संचालक  प्रकाश शुक्ला  तथा Pragati Foundation प्रमुख विनोद साहू जी   के साथ मिलकर जिले के जनता को अब ओसधीय पौधों के गुणों  से जानकारी अवगत कराने की शुरुआत करने का  निर्णय लिया है, जहा अभी तक Nursery मे  समस्त फलदार पौध, शोभकारी पौध,मिलतें थे अब समस्त औसधिय पौध भी Pc Nursery मे मिलेंगे । संस्था प्रमुख विनोद जी के अनुसार सीधी मे अस्वगंधा के ट्रायल जिले के पौडि , कुच्वाही,मझिगंवा मे चल रहा है, जिससे यहा के किसान औसधिया पौधो की खेती कर दुगना लाभ कमा सकते है, ओर सीधी जिले का नाम रोशन कर सकते है, कई किसान इस मुहिम से जुड़ चुके है, पर इस महामारी मे अस्वगंधा के जड़ का सेवन कर अपने I muunity Boost कर के रोगमुक्त होने कारगर है,  जो पहले मुमकिन  नही था पर अब P c Nuresy मे प्रगती  संस्था की तरफ से अस्वगंधा के Plant ओर बीज दिये गये है, जिससे अब Nursery  मे अस्वगंधा के बीज ,ओर पौध उप्लब्ध होंगे। ओर लोग उसके ओसधीय गुणों से लाभान्वित होंगे।        ओर इस मुहिम से जुड़ कर लाभ कमा सकते है,  अस्वगंधा के खेती ओर उसके फायदे इस लिंक से जान  ht

सीधी जिले शुरू हुई मशरूम का व्यवसाय (विंध्य मशरुम)

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  सीधी-  कृषी खबर#  प्रगती संस्था के निरंतर प्रयास से अब सीधी जिले मे भी मशरूम    farming ,कृषि व्यवसाय के रूप मे स्थापित होने जा रहा है, संस्था प्रमुख विनोद साहू जी के अनुसार ,अब विन्ध्य धरा  सीधी , मे लोगो को मशरूम के लिए बाहर भटकना नही होगा अब इसकी उपलब्धता सीधी ,मे होगी , ओर लोग इसके सेवन से  उनका शरीर स्वस्थ  ,और ऊर्जा से भरपुर होगा। जिसमे प्रगती संस्था के बैनर तले ,विन्ध्य मशरूम के नाम  से मशरुम का उत्पादन शुरु होने जा रहा है,  बटन मशरुम   इस  नवाचार के रूप मे ओएस्टर मशरूम ओर बटन मशरूम, ड्राई मशरुम  का कृषि व्यवसाय शुरू होने जा रहा है, इस नवाचार को सीधी जिले के युवा शिवम मिश्रा जी जो खुद M.Sc. कृषि  से पढ़ाई कर कृषि व्यवसाय मे लोगो तक मशरूम पहुंचाने का जिम्मा उठाया है, शिवम जी  लगभग 2 साल से प्रगती संस्था के साथ मिल कर बालाघाट   जिले के किसान को मशरूम उत्पादन करवा रहे थे । ,लेकिन अब इन्होने अपने गृह जिले मे लोगो को मशरूम के सेवन से फायदे को लेकर जागरूक करना शूरू कर दिया है, जिससे लोग इसके  मत्वपूर्ण ओसधिय उपयोग से परिचित हो , जिससे जिले के सभी नागरिको को इस महामारी के दोरान रोगप्र

कृषि जैव प्रौद्योगिकी से फसल सुधार : आशा या प्रचार?

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 कृषि जैवप्रौद्योगिकी का महत्व ऐसी फसलों का विकास करना जो बेहतर तरीके से अजैविक के अनुकूल हैं तनाव कई भागों में खाद्य उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैआज की दुनिया में। जलवायु में अनुमानित परिवर्तन और इसकी परिवर्तनशीलता, विशेष रूप से अत्यधिक तापमान और बारिश में बदलाव, फसल में सुधार की उम्मीद खाद्य उत्पादन के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ हम दो प्रमुख जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण, आणविक की समीक्षा करें प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग, और उनका एकीकरण फसलों के विकास के लिए पारंपरिक प्रजनन के साथ अजैविक तनावों के प्रति अधिक सहिष्णु। एक बहु के अलावा- अनुशासनात्मक दृष्टिकोण, हम भी कुछ चोरों की जांच करते हैं-तनाव है कि पूर्ण का एहसास करने के लिए दूर करने की जरूरत है टिकाऊ के लिए कृषि जैव प्रौद्योगिकी की क्षमता एक अनुमानित की मांगों को पूरा करने के लिए फसल उत्पादन 2050 में दुनिया की नौ अरब की आबादी। फसल में सुधार क्यों आवश्यक है?  कई हिस्सों में कृषि का गहनता पिछले पांच दशकों में दुनिया,उपयुक्त द्वारा समर्थित है अनुसंधान, संस्थानों और नीतियों में वृद्धि हुई है लगभग 850 मिल से वैश्विक खाद्यान्न उत

गिलोय के चमत्कारी गुण

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 # _गिलोय_एक_अद्भुत_औषधि :-- गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई। इसका वानस्पिक नाम (Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia) है।* इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।  आइए जानते हैं गिलोय के फायदे… गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को सा